बीकानेर, 18 मई। राजस्थान पशुचिकित्सा और पशुविज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर के 14वाँ स्थापना दिवस का भव्यता पूर्वक कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग के अध्यक्षता में आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग ने कहा कि सभी के परस्पर सहयोग एवं समन्वय से ही किसी संस्था का उत्कृष्ट विकास संभव है। उन्होंने कहा कि हमें संरचनात्मक विकास के साथ-साथ बौद्धिक, भावानात्मक विकास भी करना होगा। हमें समर्पित त्याग, कठिन परिश्रम एवं समय के मूल्य को समझ कर आगे बढ़ाना होगा। प्रो. गर्ग ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत शैक्षणिक विकास के बहुत से द्वार खुल गये है। प्रो. गर्ग ने खुली आँखो से सपने देखने एवं खुद पर विश्वास रखते है सफलता पाने की बात कही। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. अरूण कुमार, कुलपति स्वामी केशवानंद कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर ने विश्वविद्यालय के 14वें स्थापना दिवस की सभी को बधाई देते हुए कहा कि स्थापना दिवस के अवसर पर हमें हमारे उद्देश्यों की पूर्ति एवं भविष्य योजना का आकलन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों विश्वविद्यालय परस्पर शैक्षणिक, शोध एवं प्रचार में सहयोग करके राज्य में किसानों एवं पशुपालकों के हितार्थ कार्य करते रहेंगे। प्रो. अरूण कूमार ने पशु खाद्य पदार्थांे में मूल्य संवर्धन एवं किसान उत्पादक संघ बनाकर किसानों के आर्थिक उत्थान का सुझाव दिया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. सुरेश कुमार मित्तल, प्रोफेसर परडू यूनिवर्सिटी यू.एस.ए. ने अपने प्रेजेंटेशन के माध्यम से वेटरनरी प्रोफेशन की महत्ता, समाज में योगदान एवं भविष्य की संभावना पर विस्तृत जानकारी प्रदान की। प्रो. मित्तल ने खाद्य सुरक्षा, संक्रामक बीमारियों की रोकथाम, जैविक कृषि एवं पशुपालन की महत्ता, एकल स्वास्थ्य योजना एवं जैविक प्रतिरोधकता पर वेटरनरियन की महत्ता को समझाया। प्रो. मित्तल ने वेटरनरी प्रोफेशन में महिलाओं की भागीदारी एवं उनके योगदान को भी सराहा। उन्होंने विद्यार्थियों का प्रोफेशनल स्किल का विकास कर अपनी विशिष्ट पहचान बनाने हेतु उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम के सम्मानीय अतिथि, वेटरनरी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत ने सभी को 14वें स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय के प्रगति की पहचान उसके विद्यार्थियों की बेहतर प्रदर्शन से की जा सकती है। विश्वविद्यालय ने 13 साल के अल्प काल में ही आशातीत प्रगति की है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालय को आज शैक्षणिक एवं शोध का दायरा बढ़ाकर अन्य संस्थाओं के साथ समन्वय बिठाकर कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने ऑनलाईन शैक्षणिक पोर्टल के बेहत्तर उपयोग का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा राजस्थान आज दुग्ध उत्पादन में देश में पहले पायदान पर है अतः दुग्ध उत्पादन, मूल्य संवर्धन एवं गुणवत्ता निर्धारण में पशुचिकित्सा व्यवसाय का अहम योगदान है। अधिष्ठाता वेटरनरी महाविद्यालय, बीकानेर प्रो. ए.पी. सिंह ने स्वागत भाषण दिया एवं विश्वविद्यालय के इतिहास के बारे में जानकारी प्रदान की। अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. प्रवीण बिश्नोई ने “स्पोकल-23” के दौरान खेलकूद, सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक प्रतियोगिता के विजेता टीमों की घोषणा की जिनकों ट्रॉफी एवं प्रशस्ति प्रदान किये गये। कार्यक्रम की समाप्ति पर निदेशक अनुसंधान प्रो. हेमन्त दाधीच ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलसचिव बिन्दु खत्री, वित्त नियंत्रक बी.एल. सर्वा, निदेशक एन.आर.सी.सी. प्रो. ए.साहु, सी.एस.ड्ब्लु.आर.आई. के हेड़ प्रो. आर. लेघा, श्रीमती मंजु गर्ग, श्रीमती अरुणा गहलोत, डॉ. पूनम मित्तल विश्वविद्यालय के डीन-डारेक्टर, विभागाध्यक्ष शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक कर्मचारी, पूर्व शिक्षक एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद रहे। मंच का संचालन डॉ. अशोक गौड़ ने किया।
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