बीकानेर 20 मार्च। वेटरनरी विश्वविद्यालय के सामाजिक विकास एवं सहभागिता प्रकोष्ठ एवं राजस्थान पत्रिका, बीकानेर के संयुक्त तत्वावधान में “समाज और पशुपालन के परिपेक्ष्य में पत्रकारिता का महत्व” विषय पर बुधवार को संगोष्ठी कार्यक्रम रखा गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग ने कहा कि देश की जी.डी.पी. में पशुपालन का बहुत बड़ा योगदान है देश की आजादी के बाद हम खाद्यान एवं पशुउत्पादों में आत्म निर्भर हो गये है लेकिन लघु एवं सीमान्त किसानों एवं पशुपालकों को आज भी पूरा लागत मूल्य नहीं मिल पा रहा है। पत्रकारिता एवं सोशल मीडिया के माध्यम में किसानों एवं पशुपालकों की वस्तुस्थिति, समस्या आदि सरकार के ध्यान में लाकर हम पशुपालन व्यवसाय को और अधिक सुद्दढ़ बना सकते है। प्रेस मीड़िया जहां सूचनाओं को जन-जन तक पहुंचाती है वहां समाजिक सरोकार के कार्य करके राष्ट्र उत्थान में सहायक हो सकते है। विशिष्ट अतिथि कमान्डेट (बी.एस.एफ.) डॉ. गोपेश नाग ने कहा कि पशुचिकित्सा दूर-दराज के क्षेत्र में पशुकल्याण के कार्यों में निहित रहते है। उनका कार्य क्षेत्र बहुत व्यापक है। पत्रकारिता के माध्यम से पशु कल्याण के कार्यों, शोध एवं योजनाओं को आमजन तक पहुचाकर उनके उत्थान एवं जन कल्याण का कार्य कर सकते है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि हरिशंकर आचार्य, उपनिदेशक सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग, बीकानेर ने पत्रकारिता के इतिहास पर विस्तृत जानकारी दी एवं पशुचिकित्सा, पशुकल्याण एवं पशु विज्ञान के कार्यों को समाचार पत्रों में विशेष महत्व देने की जरूरत बताई। कार्यक्रम के दौरान दिनेश चन्द्र सक्सेना सेवानिवृत संयुक्त निदेशक, जन सम्पर्क विभाग, बीकानेर ने कहा कि आज व्यवसायिकता का युग है इसमें हमे आर्थिक परिपेक्ष्य में साथ-साथ समाजिक उत्थान एवं सामाजिक सरोकार को भी महत्व देना होगा। पत्रकारिता का विषय जन मानस के साथ जुड़ा है अतः हमें पत्रकारिता के माध्यम में जनमानस में नाकारात्मक दृष्टिकोण को हटाकर सकारात्मक परिदृश्य को दिखना चाहिए। कार्यक्रम के दौरान चन्द्रशेखर श्रीमाली ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के समन्वयक निदेशक प्रसार शिक्षा प्रो. राजेश कुमार धूड़िया ने सभी का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी और समाज, संस्था एवं देश के विकास में जनसम्पर्क मीडिया की बहुत बड़ी भागीदारी बताई। प्रति कुलपति प्रो. हेमन्त दाधीच ने सभी को धन्यवाद देते हुए अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के डीन-डायरेक्टर के साथ-साथ फैकल्टी सदस्य एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।
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