बीकानेर, 10 अप्रैल। सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली, भारत सरकार के न्यायाधीश माननीय श्री दिनेश महेश्वरी ने वेटरनरी विश्वविद्यालय का दौरा किया तथा पशुचिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षण, अनुसंधान एवं प्रसार के कार्यों की जानकारी प्राप्त की। इस अवसर पर उच्च न्यायालय, जोधपुर के न्यायाधीश माननीय श्री विजय बिश्नोई मौजूद रहे। वेटरनरी विश्वविद्यालय, बीकानेर के कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग की अध्यक्षता में रविवार को एक इंटरेक्टिव मीटिंग का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग ने मीटिंग में विश्वविद्यालय की शैक्षणिक, अनुसंधान एवं प्रसार गतिविधियों की विस्तृत जानकारी प्रदान की और कहा कि विश्वविद्यालय राज्य में पशुचिकित्सा सेवा, गौ संरक्षण एवं संवर्द्धन, पशुपालक प्रशिक्षण एवं कौशल विकास एवं इर्न्टप्रन्यूरशिप के क्षेत्र में अपने महाविद्यालयों, पशु अनुसंधान केन्द्रों एवं पशु विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान कर रहा है। माननीय न्यायाधीश श्री दिनेश महेश्वरी ने विश्वविद्यालय के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय राज्य में पशुपालकों के हितों एवं पशुचिकित्सा के क्षेत्र में एक वरदान के रूप में है तथा विश्वविद्यालय को निरंतर नई योजनाओं के माध्यम से पशुपालक हितार्थ कार्य करने चाहिए। भारतीय संविधान में भी वन्यजीव, जंगल एवं वातावरण संरक्षण हेतु विभिन्न प्रावधान है। पशुचिकित्सा के साथ साथ विश्वविद्यालय इनके संरक्षण हेतु कार्ययोजना बनाये ताकि समस्त मानव जाति का कल्याण हो सके। भारतीय संस्कृति एवं संविधान में भी पशुओं का उल्लेख है अतः विश्वविद्यालय को पशु संरक्षण एवं संवर्द्धन हेतु कार्य करना चाहिए। वेटरनरी प्रोफेशन मूक पशुओं के रोग को पहचानकर इनका इलाज करते है वास्तव में यह अद्भुत कला है। राज्य में विषम परिस्थितियों में भी पशुचिकित्सा के कार्यों को अंजाम देने का कार्य प्रशंसनीय है। श्री विजय बिश्नोई, माननीय न्यायाधीश, जोधपुर उच्च न्यायालय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य में पशुपालन ज्यादातर ग्रामीणों की आजीविका का मुख्य हिस्सा है। वेटरनरी विश्वविद्यालय राज्य के अधिकांश हिस्सों में पशुचिकित्सा, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान सेवाएं दे रहा है जो कि पशुपालकों के हितार्थ उल्लेखनीय कार्य है। पशुपालकों को विश्वविद्यालय की सेवाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए। विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत ने बैठक में पशुचिकित्सा क्षेत्र में उपयोग होने वाले विभिन्न कानूनी प्रावधानों, पशुजन्य उत्पादों की मांग, एकल स्वास्थ्य मिशन एवं पशुपालकों हेतु विश्वविद्यालय की विभिन्न कार्य योजनाओं पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर जिला न्यायाधीश श्री प्रामिल कुमार माथुर, विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रक डॉ. प्रताप सिंह पूनिया सहित डीन-डायरेक्टर, शिक्षक एवं विभागाध्यक्ष मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रतिष्ठा शर्मा ने किया।
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