जयपुर, 28 सितम्बर। विश्व रेबीज दिवस के अवसर पर गुरूवार को स्नातकोत्तर पशुचिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पी.जी.आई.वी.ई.आर.), जयपुर में श्वानों तथा बिल्लियों के लिए एन्टी-रेबीज टीकाकरण तथा स्वास्थ्य जाँच शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर का उद्घाटन संस्थान की अधिष्ठाता प्रो. (डॉ.) शीला चौधरी तथा पशुचिकित्सा क्लिनिकल कॉम्प्लेक्स प्रभारी डॉ. वाई.पी. सिंह ने की। पशु दवा निर्माता कम्पनी एम.एस.डी. के सहयोग से 11 श्वानों का रेबीज बीमारी के खिलाफ टीकाकरण किया गया। पशुपालकों को रेबीज रोग के प्रति जागरूक करने के लिये आयोजित जागरूकता शिविर में अधिष्ठाता महोदया ने उन्हें अपने पशुओं को रेबीज रोग से बचाने के लिए प्रतिवर्ष टीकाकरण की सलाह दी। साथ ही उन्होंने बताया कि किसी भी जानवर के काटने पर खुद का भी टीकाकरण उतना ही महत्वपूर्ण है। श्वानों एवं अन्य जानवरों के द्वारा काटे जाने के बाद हमें तुरंत घाव को साबून या एन्टीसेप्टिक घोल से धोना चाहिये तथा उसके पश्चात् रेबीज रोग का टीकाकरण करवाना चाहिये। डॉ. वाई.पी. सिंह ने पशुपालकों को रेबीज टीकाकरण के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डॉ. रश्मि सिंह ने रेबीज रोग के फैलाव, पशुओं एवं मनुष्यों में इसके लक्षण, टीकाकरण, रोकथाम आदि के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि रेबीज रोग से ग्रसित जानवर के काटने से उसके लार के द्वारा रेबीज के विषाणु दुसरे जानवरों एवं मनुष्यों में प्रवेश कर जाते हैं। रेबीज एक लाईलाज बीमारी है एवं इसकी रोकथाम ही इसका उपचार है। इसके लिये सभी को अपने पालतु पशुओं का समय पर टीकारण करवाना चाहिये तथा उन्हें जंगली जानवरों तथा आवारा पशुओं के सम्पर्क में आने से बचाना चाहिये। उन्होंने पशुपालकों से श्वानों के अन्य रोगों तथा उनके रख-रखाव से संबंधित जानकारियां भी साझा की। शिविर में 22 श्वानों का सामान्य स्वास्थ्य जाँच परीक्षण भी किया गया। इस शिविर में डॉ. जितेन्द्र बड़गुजर, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. जितेन्द्र कान्त नागर तथा डॉ. मान सिंह ने भी अपनी सेवाए प्रदान की।
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