जयपुर, 05 अक्टूबर। राजस्थान पशु चिकिसा एवम पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत भारत सरकार के पशुपालन एवम डेयरी विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन एवम् डेयरी मंत्रालय द्वारा प्रायोजित पशुधन जागृति अभियान के अंतर्गत आकांक्षी जिला धौलपुर की तहसील बसेड़ी के गांव बागथर में जागरूकता एवम प्रजन्न शिविर का आयोजन किया गया।
शिविर के शुरुआत शिविर की नोडल अधिकारी एवम अधिष्ठाता, स्नातकोत्तर पशु चिकित्सा शिक्षा एवम अनुसंधान संस्थान, जयपुर की प्रो. (डॉ.) शीला चौधरी द्वारा कार्यक्रम के मुख्य अथिति ब्लॉक पशु चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी, बारी डॉ. संत सिंह मीणा एवम विशिष्ठ अतिथि ग्राम पंचायत बागथर के सरपंच एवम प्रगतिशील पशुपालक श्री लाखन सिंह गुर्जर को पुष्पगुच्छ दे कर स्वागत किया। सर्वप्रथम राजूवास के वंदन गान के द्वारा कार्यक्रम को प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में अधिष्ठाता, पी.जी.आई.वी.ई.आर., जयपुर प्रो. (डॉ.) शीला चौधरी द्वारा पशुपालन के विभिन्न पायदानों पर बारीकियों से शिविर में आए पशुपालकों से साझा किए तथा कृषि में मौसम के बदलाव से होने वाले नुकसान से बचने के लिए पशुपालन को अपनाने का आव्हान किया। अधिष्ठाता महोदया ने पशुपालकों को बताया की खेती और पशुपालन एक दूसरे के पूरक है, खेती के लिए जमीन सीमित है परंतु हम अपने पशु बाड़े में ज्यादा से ज्यादा पशु पाल कर तथा उन्नत पशुपालन कर आमदनी में इजाफा कर सकते है। प्रो. शीला चौधरी द्वारा पशुपालन के विभिन्न पायदानों के बारे में बताया, जिसमे उन्नत पशु स्वास्थ्य के लिए पशुपालक अपने पशु को समय समय पर अपने स्वस्थ पशु को क्रमीनाश दवा पिला कर पेट के कीड़ों की रोकथाम करे तथा टीकाकरण कर विभिन्न संक्रामक बीमारियों से बचाए।
पशु की नस्ल सुधार के लिए पशु पालक अपने पशु को अच्छे नस्ल के सांड/पाड़े से ग्राभित करवाए ताकि पशु की अगली आने वाली पीढ़ी अच्छी नस्ल की हो तथा उनका पशु अच्छा दुग्ध उत्पादन करता रहे।
पशु पोषण के अंतर्गत अधिष्ठाता महोदया ने बताया की पशु को अच्छा पोषण शारीरिक विकास के लिए जरूरी है तथा पशु पालक अपने पशु से दुग्ध उत्पादन में बढ़वार कर सकता है, इसके लिए जरूरी है की पशुपालक अपने पशु को संतुलित, सुपाच्ये, एवम किफायती पोषण प्रदान करे। अधिष्ठाता ने पशुपालकों को बताया की गर्भित पशु को भी अच्छे पशु पोषण की जरूरत है क्युकी पशु के ग्याभ में पलने वाले बच्चे को अच्छा पोषण मिलता रहे ताकि उसका शारीरिक विकास होता रहे।
अधिष्ठाता ने सभी पशु पालकों को बताया की इस शिविर में डॉ. सुमित प्रकाश यादव, डॉ. संतसिंह मीणा एवम डॉ. डॉ. संतोष गौतम द्वारा अलग अलग विषय पर व्याख्यान दिया।
कार्यक्रम के विषय विशेषज्ञ डॉ. सुमित प्रकाश यादव द्वारा पशुओं में बांझपन के विभिन्न कारण इनके निराकरण, बचाव एवम उपचार के बारे में पशु पालकों को बताए। डॉ. सुमित ने पशुओं में होने वाली विभिन्न संक्रामक बीमारियों के बारे में भी पशुपालकों को बताया तथा उन बीमारियों की रोकथाम और उपचार के तरीके बताए।
कार्यक्रम के विषय विशेषज्ञ डॉ. संतसिंह मीणा, वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी, पशु पालन विभाग, धौलपुर द्वारा पशुपालन विभाग द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न योजनाओं के बारे में शिविर में आए पशुपालकों को बताया जिसमे पशु बीमा योजना (कामधेनु पशु बीमा योजना) से पशु पालकों को विस्तार से अवगत करवाया। पश्चात पशुओं में होने वाली बीमारियों के बचाव के लिए टीकाकरण करवाने का आव्हान किया, जिसमे खुरपक्का मुहपक्का, गलघोटू, लंगड़ा बुखार मुख्य है।
शिविर के अन्य विषय विशेषज्ञ डॉ. संतोष गौतम, पशु चिकित्सा अधिकारी ने पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए स्वच्छ चारा, स्वच्छ पानी एवम स्वच्छ हवा प्रदान करने की सलाह दी तथा प्रजन्न से संबंधित होने वाली विभिन्न बीमारियों से अवगत किया।
शिविर में आए पशुओं का उपचार स्नातकोत्तर पशु चिकित्सा शिक्षा एवम अनुसंधान संस्थान, जयपुर के सहायक आचार्य डॉ. चंद्रशेखर सारस्वत, डॉ. सुमित प्रकाश यादव तथा सहायक आचार्य डॉ. नजीर मोहम्मद द्वारा किया गया तथा पशुपालकों को उनके पशुओं के संवर्धन के गुर सिखाए।
शिविर के सफल आयोजन में सहायक आचार्य डॉ. अशोक बैन्धा, डॉ. संतसिंह मीणा, डॉ. संतोष गौतम, श्री चौथमल (वरिष्ठ लेखाधिकारी, पी. जी. आई. वी. ई. आर., जयपुर) पशुधन सहायक श्री वीरेन्द्र सिंह, श्री डोरीलाल, श्री सूबेदार, श्री रामअवतार वर्मा पशुधन परिचर श्री मनीराम, श्री मुन्नालाल एवम श्री प्रीतम पहाड़िया ने अहम किरदार निभाया।
शिविर में 252 पशुपालकों ने अपना पंजीकरण करवाया तथा 200 से ज्यादा पशुओं का उपचार किया गया।
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