*जयपुर, 22 अक्टूबर।* शासन सचिवालय, राजस्थान सरकार, जयपुर के सभागार कक्ष में राजस्थान पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (राजुवास), बीकानेर के संघटक एवं संबद्ध महाविद्यालयों, पशुपालन विभाग, राजस्थान सरकार के पदाधिकारियों, भारतीय पशुचिकित्सा परिषद्, नई दिल्ली के अध्यक्ष तथा सचिव, पशुपालन विभाग, राजस्थान सरकार के प्रतिनिधियों के मध्य ’’गुणवत्तापूर्ण पशुचिकित्सा शिक्षा एवं भविष्य में सुधार’’ विषय पर सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन के शुभारंभ में माननीय अध्यक्ष, भारतीय पशुचिकित्सा परिषद्, नई दिल्ली डॉ. उमेश चन्द शर्मा तथा माननीय कुलपति, राजुवास, बीकानेर आचार्य मनोज कुमार दीक्षित का माननीय सचिव पशुपालन, गोपालन एवं डेयरी, राजस्थान सरकार डॉ. समित शर्मा द्वारा पौधा भेट कर स्वागत एवं अभिनन्दन किया गया। माननीय प्रति कुलपति, राजुवास, बीकानेर प्रो. (डॉ.) हेमन्त दाधीच द्वारा सचिव, पशुपालन विभाग, राजस्थान सरकार डॉ. समित शर्मा तथा निदेशक, पशुपालन विभाग राजस्थान सरकार डॉ. भवानी सिंह राठौड को पौधा भेट कर स्वागत किया गया। सम्मेलन प्रारंभ में राजुवास, बीकानेर के विभिन्न संघटक एवं संबद्ध महाविद्यालयों क्रमशः स्नातकोत्तर पशुचिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पी.जी.आई.वी.ई.आर.), जयपुर, पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, जोधपुर, पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, नवानियॉ, उदयपुर, डेयरी एवं खाद्य प्रोद्यौगिकी महाविद्यालय, बस्सी, जयपुर, अपोलो कॉलेज ऑफ वेटरनरी मेडिसिन, जयपुर, अरावली वेटरनरी कॉलेज, सीकर, एम.जे.एफ. वेटरनरी कॉलेज, चौमू, जयपुर, एम.वी. वेटरनरी कॉलेज, डूंगरपुर, आर.आर. वेटरनरी कॉलेज, टोंक, महात्मा गांधी वेटरनरी कॉलेज, भरतपुर, सौरभ वेटरनरी कॉलेज, हिण्डोन सिटी, करौली, शेखावटी वेटरनरी कॉलेज, सीकर के अधिष्ठाता द्वारा उनके महाविद्यालयों की शैक्षणिक, अनुसंधान एवं प्रसार की गतिविधियों पर डिजीटल प्रस्तुति दी गई। प्रथम प्रस्तुति में पी.जी.आई.वी.ई.आर., जयपुर के अधिष्ठाता प्रो. (डॉ.) धर्म सिंह मीना ने महाविद्यालय के उपलब्धियों को प्रस्तुत किया तथा अपनी प्रस्तुति में कहा कि पशुपालन हमारी भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है एवं हम इस संस्कृति को बचाने एवं विस्तार करने में अहम् भूमिका निभाते है। विभिन्न महाविद्यालयों की प्रस्तुति के उपरान्त राजुवास, बीकानेर के प्रति कुलपति प्रो. (डॉ.) हेमन्त दाधीच द्वारा विश्वविद्यालय की विभिन्न गतिविधियों एवं इकाईयों का विद्यार्थियों एवं पशुपालकों को होने वाले लाभ पर प्रस्तुति दी गई तथा साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा समय-समय पर की जाने वाली अभिनव पहल से भी सम्मेलन के प्रतिनिधियों को अवगत करवाया गया। विश्वविद्यलाय के सहायक आचार्य डॉ. सुरेश कुमार झीरवाल द्वारा पशुचिकित्सा के क्षेत्र में नेत्र शल्य चिकित्सा में उनके द्वारा किये गये कार्यो एवं नवाचारों को सदन के सम्मुख प्रस्तुत किया। इस सम्मेलन में पशुचिकित्सा शिक्षा के आधुनिकीकरण, अनुसंधान में विश्वविद्यालय तथा पशुपालन विभाग का आपसी सामंजस्य तथा पशुचिकित्सा का पशुपालकों को अधिकाधिक लाभ किस प्रकार दिया जा सकता है, विषय पर विस्तृत चर्चा की गई जिसमें प्रशासन, राजस्थान सरकार, पशुपालन विभाग, भारतीय पशुचिकित्सा परिषद् तथा विश्वविद्यालय द्वारा आपसी समन्वय एवं सहयोग स्थापित करने की प्रतिबद्धता दी गई। सेमिनार में संभागियों को संबोधित करते हुए शासन सचिव पशुपालन, गोपालन एवं डेयरी डॉ. समित शर्मा ने कहा कि सभी वेटरिनरी कॉलेज को उत्कृष्टता का केंद्र बनाना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। पशुचिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में हम काफी काम कर रहे हैं परंतु अभी भी सुधार की संभावनाएं बहुत अधिक हैं। हमें अपने पशुचिकित्सा शिक्षा के संस्थान देश में अव्वल स्थान पर लाने के लिए प्रयास करने होंगे। ग्रेडिंग के पहले दस स्थानों में राजस्थान के पशुचिकित्सा शिक्षा संस्थान आएं इसके लिए आवश्यक है कि हमारे पास जो संसाधन उपलब्ध हैं हम उनका अधिक से अधिक और बेहतर उपयोग करें। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि सभी कॉलेज अपने विद्यार्थियों को सम्मानपूर्वक डिग्री देने के लिए समारोह का आयोजन करें, विर्द्यार्थियों के सभी दस्तावेज डिजी लॉकर में रखें, सप्ताह के अंत में पढ़ाए गए विषयों का मूल्यांकन करें, पढ़ाए जाने वाले विषयों की जानकारी विर्द्यार्थियों को पूर्व में दें, कॉलेज में इनडोर ऑपरेशन करने का प्रयास करें। इन सब प्रयासों से ही आने वाले वर्षों में पशुचिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता लाकर हम राज्य के पशुचिकित्सा शिक्षा संस्थानों को देश में सर्वोच्च स्थान पर ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें मिशन मोड के साथ इस प्रयास के लिए जुटना होगा। हमें अब संख्या की बजाय गुणवत्ता पर फोकस करना होगा तभी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। इस अवसर पर भारतीय पशुचिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डॉ उमेश चंद्र शर्मा ने कहा कि हमारा काम केवल पशु चिकित्सक तैयार करना नहीं है बल्कि उनके अंदर संवेदनशीलता विकसित करना भी हमारा उद्देश्य होना चाहिए। शिक्षा की गुणवत्ता के लिए पर्याप्त संख्या में शिक्षक होना भी बहुत आवश्यक है। उन्होंने सभी निजी और सरकारी कॉलेजों को 31 मार्च तक फैकल्टी पूरी करने को कहा। उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता दिशा-निर्देशों की पालना करते हुए सुनिश्चित होनी चाहिए। डॉ शर्मा ने कहा कि जिस तरह से देश में पशुओं पर कई घातक बीमारियां अटैक करती रहती हैं उसके लिए जरूरी है कि डिजीज सर्विलांस सिस्टम को और हाईटेक बनाया जाए। मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य और पर्यावरण तीनों का समन्वय करते हुए वन हेल्थ मिशन चलाया जाए। सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए राजुवास के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने कहा कि अपनी कमियों को स्वीकार करने से हमें गुरेज नहीं करना चाहिए बल्कि उन कमियों को दूर करने का प्रयास करते हुए हमें ऊंचाई की तरफ बढ़ना चाहिए, अच्छे और बुरे दोनों स्थितियों में हमें काम करना होगा। समस्याएं भी आएंगी पर उन सबका सामना हम मिलकर करेंगे और निश्चित रूप से हम प्रदेश को देश में सर्वोच्च स्थान दिलाने में कामयाब होंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता के लिए क्षेत्र में काम कर रहे पशुचिकित्सा अधिकारियों और शिक्षा संस्थानों के बीच अच्छा तालमेल होना भी आवश्यक है। इस अवसर पर निदेशक पशुपालन डॉ. भवानी सिंह राठौड़ ने कहा कि शिक्षा के साथ साथ नवाचारों को भी स्थान देना होगा। उन्होंने कहा कि सभी मिलकर कुशलता के साथ अच्छा आउटपुट देंगे और विभाग को नई ऊचाईयों तक ले जाएंगे। कार्यक्रम के अन्त में राजुवास, बीकानेर के लाईजन ऑफिसर डॉ. प्रकाश चन्द शर्मा द्वारा सभी अतिथियों तथा प्रतिनिधियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में सहायक शासन सचिव, पशुपालन विभाग, सचिवालय, पशुपालन विभाग तथा राजुवास, बीकानेर के अधिकारीगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. बरखा गुप्ता, सहायक आचार्य, पी.जी.आई.वी.ई.आर., जयपुर ने किया। सम्मेल का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।
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