राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर तथा पशुपालन विभाग, करौली के संयुक्त तद्वाधान में गांव भावली में जागरूकता एवम प्रजन्न शिविर का आयोजन

जयपुर, 07 अक्टूबर। राजस्थान पशु चिकिसा एवम पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर द्वारा देश की आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत भारत सरकार के पशुपालन एवम डेयरी विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन एवम् डेयरी मंत्रालय द्वारा प्रायोजित पशुधन जागृति अभियान के अंतर्गत आकांक्षी जिला करौली की तहसील मासलपुर के गांव भावली में जागरूकता एवम प्रजन्न शिविर का आयोजन किया गया।
शिविर के शुरुआत में अधिष्ठाता, स्नातकोत्तर पशु चिकित्सा शिक्षा एवम अनुसंधान संस्थान, जयपुर की प्रो. (डॉ.) शीला चौधरी द्वारा शिविर के मुख्य अथिति संयुक्त निदेशक, पशु पालन विभाग, करौली डॉ. गंगासहाय मीणा को पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। सर्वप्रथम राजूवास के वंदन गान के द्वारा कार्यक्रम को प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में अधिष्ठाता, पी.जी.आई.वी.ई.आर., जयपुर प्रो. (डॉ.) शीला चौधरी द्वारा बताया कि उन्नत पशुपालन के लिए जागरूकता की अति आवश्यकता है, अतः पशुपालक इस तरह के शिविरो में अधिकाधिक संख्या में भाग ले। अधिष्ठाता महोदया ने पशुपालकों को बताया की खेती और पशुपालन एक दूसरे के पूरक है, खेती के लिए जमीन सीमित है और इसको बढ़ाया नही जा सकता परंतु हम अपने पशु बाड़े में ज्यादा से ज्यादा संख्या में पशु पाल कर एवम उन्नत पशुपालन कर आमदनी में इजाफा कर सकते है। प्रो. शीला चौधरी द्वारा पशुपालन के विभिन्न पायदानों के बारे में बताया, जिसमे उन्नत पशु स्वास्थ्य के लिए पशुपालक अपने पशु को समय समय पर क्रमीनाश दवा पिला कर पेट के कीड़ों की रोकथाम करे तथा विभिन्न संक्रामक बीमारियों से अपने पशु को बचाने के लिए उपयुक्त समय पर टीकाकरण करवाए। पशु की नस्ल सुधार के लिए पशु पालक अपने पशु को अच्छे नस्ल के नर से ग्राभित करवाए ताकि पशु की आने वाली पीढ़ी अच्छी नस्ल की हो तथा उनका पशु अच्छा एवम अधिक दुग्ध उत्पादन करता रहे ।गोवंश पशु की ब्यांत के बीच 1 साल का अंतराल एवम भैंस वंश के पशु की ब्यांत के बीच सवा साल का अंतर पशु पालक जरूर रखे। पशु के ताव में आने की जांच के लिए पशुपालक को टीजर सांड का उपयोग करना चाहिए। पशुपालक अपने पशु बाड़े से कम दूध देने वाले पशु को बेच दे ताकि उन पशुओं पर होने वाले खर्चे से बच सके। पशु पोषण के अंतर्गत अधिष्ठाता ने बताया की पशु को अच्छा खान पान हेतु अच्छा पशु पोषण प्रदान करे ताकि पशु का शारीरिक विकास हो सके, इसके लिए जरूरी है की पशुपालक अपने पशु को संतुलित, सुपाच्ये, पशु आहार से पोषण प्रदान करे। दुग्ध उत्पादन ने वृद्धि और शरीर में सूक्ष्म तत्त्वों की कमी को रोकने के लिए पशुपालक अपने दूधारू पशुओं को खनिज मिश्रण देते रहे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, सयुक्त निदेशक, पशु पालन विभाग, करौली डॉ. गंगा सहाय मीणा ने पशुपालकों को जागरूक होने के लिए प्रोत्साहित किया और बताया की जागरूक इंसान हमेशा अपना, परिवार और देश का विकास करता है और इसीलिए ये शिविर इस गांव में आयोजत किया गया है। सयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग ने विभाग द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न योजनाओं के बारे में शिविर में आए पशुपालकों को बताया एवम विभिन्न पशु बीमा योजनाओं से पशु पालकों को अवगत करवाया और पशुपालकों को इन योजनाओं का फायदा उठाने का आव्हान किया। कार्यक्रम के विषय विशेषज्ञ डॉ. ब्रह्म कुमार पांडे, वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी, पशु पालन विभाग, करौली द्वारा खीश की उपयोगिता के बारे में बताया, डॉ. ब्रह्म कुमार ने आकांक्षी जिले के चुनाव के बारे में विस्तार से बताया, पशुओं का विभिन्न बीमारियों से बचाव हेतु टीकाकरण करवाने का आव्हान किया। शिविर के अन्य विषय विशेषज्ञ डॉ. सत्यवीर सिंह, सहायक आचार्य, स्नातकोत्तर पशुचिकित्शा शिक्षा एवम अनुसंधान संस्थान, जयपुर ने पशुओं के घाव के उपचार के प्राथमिक उपाय बताए, पशुओं में होने वाली रेबीज बीमारी का नुक्सान, उसका बचाव और उपचार के बारे में पशु पालकों को बताया। डॉ. सत्यवीर ने पशुओं में होने वाले विभिन्न सल्य चिकित्सा जैसे प्लास्टिक खाने से पेट का चीरा, सींग का कैंसर होना, पैरो में सन्न (चिटकी), पूंछ की लेदरी जैसी बीमारियो से पशुपालकों को विस्तार से बताया। शिविर के अन्य विषय विशेषज्ञ डॉ. अशोक बैंधा द्वारा पशुपालकों को घरेलू उपचार, उन्नत पशुपालन के लिए विभिन्न सार संभाल के बारे में पशु पालकों को अवगत किया। शिविर के पधारे डॉ. पियूष, वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी, पशुपालन विभाग, करौली द्वारा अपने व्याखान में पशुओं के देख रेख हेतु वैज्ञानिक पशुपालन करने के तरीके बताए जिसमे कृत्रिम गर्भाधान कर अच्छी नस्ल प्राप्त करने के तरीके बताए। सेक्स सॉर्टेड सीमन के बारे में बताया की इस प्रकार के वीर्य से सिर्फ मादा पशु (बछड़ी/पाडी) का ही जन्म होगा। शिविर में आए पशुओं का उपचार स्नातकोत्तर पशु चिकित्सा शिक्षा एवम अनुसंधान संस्थान, जयपुर के सहायक आचार्य डॉ. चंद्रशेखर सारस्वत, सहायक आचार्य डॉ. निर्मल कुमार जैफ एवम डॉ. सत्यवीर सिंह द्वारा किया गया। शिविर के सफल आयोजन में सहायक आचार्य डॉ. अशोक बैन्धा, वरिष्ठ पशु चिकित्सक, डॉ. पियूष गोयल, डॉ. कमल प्रकाश भारद्वाज, पशुधन सहायक श्री रामनिवास मीणा, श्री खेमराज मीणा, श्री सुभाष नावल, पशुधन सहायक श्री विष्णु जाट, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी श्री शिव लाल बैरवा, पशुधन परिचर श्री मोहन मीणा, श्री सीता राम योगी तथा श्री रामदयाल ने अहम किरदार निभाया।
शिविर में 175 पशुपालकों ने अपना पंजीकरण करवाया तथा 100 से ज्यादा पशुओं का उपचार किया गया एवम इंडियन इम्युनोलॉजिक द्वारा प्रदान की गई दवा का निशुल्क वितरण किया गया।