जयपुर, 18 दिसम्बर। स्नातकोत्तर पशुचिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पी.जी.आई.वी.ई.आर.), जयपुर का 13वॉ स्थापना दिवस बुधवार को समारोहपूर्वक आयोजित किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में भारतीय संस्कृति को सुसृज्जित करते हुए कार्यक्रम के मुख्य एवं अतिविशिष्ट अतिथियों का संस्थान के वरिष्ठ शिक्षकों द्वारा पुष्पगुच्छ भेट कर स्वागत किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीमान् जवाहर सिंह बेढ़म, माननीय राज्यमंत्री गृह विभाग, पशुपालन एवं डेयरी विभाग, गोपालन विभाग, मत्स्य पालन विभाग राजस्थान सरकार, जयपुर ने अपने उद्बोधन में सभी को संस्थान के स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दी तथा इसके उज्जवल भविष्य की कामना की। माननीय राज्यमंत्री ने अपनी मंशा जाहिर की कि राजस्थान के बीकानेर में पशुचिकित्सा के क्षेत्र में एक विश्वविद्यालय स्थापित है तथा दूसरे विश्वविद्यालय के स्थापना की घोषणा पूर्व राज्य सरकार ने जोबनेर में की थी जबकि इस विश्वविद्यालय के लिये जोबनेर की बजाय बस्सी या मानसरोवर (जयपुर) उपयुक्त स्थान है। अपने उद्बोधन में माननीय राज्यमंत्री ने सभागार में उपस्थित समस्त संकाय सदस्यों एवं विद्यार्थियों के सम्मुख माना कि पशुचिकित्सक सदैव मनुष्य चिकित्सक के सदैव समकक्ष है क्योकि पशुचिकित्सक ना सिर्फ पशु का उपचार करता है बल्कि पशु की व्याधि को भी समझने की पूर्ण कोशिश करता है। पशुओं का स्वस्थ रहना मानव स्वास्थ्य के लिए भी अति महत्वपूर्ण है क्योकि पशुओं के उत्पाद का मनुष्यों द्वारा सेवन किया जाता है। पशुचिकित्सा के क्षेत्र को और अधिक मजबूती प्रदान करने के लिये राज्य सरकार जल्द से जल्द पशुचिकित्सक, पशुधन सहायक एवं पशुधन परिचर की नियुक्ति करने के लिये प्रयासरत है जिसका लाभ संस्थान के विद्यार्थियों को मिलेगा। माननीय राज्यमंत्री ने बताया कि महिला, गरीब, युवा एवं उद्यमी विभिन्न प्रकार के विकास के मुख्य आधार है एवं इस हेतु राज्य तथा भारत सरकार इन चारो स्तम्भों को अधिक सुदृढ़ बनाने की कोशिश कर रही है। अपने उद्बोधन के अन्त में माननीय राज्यमंत्री द्वारा संस्थान को संस्थान की जरूरत के अनुसार विशाल सभागार एवं अन्य उपकरण की सौगात देने का आश्वासन दिया। कार्यक्रम के अति विशिष्ट अतिथि माननीय डॉ. राजेश मान, पूर्व निदेशक, पशुपालन विभाग, राजस्थान सरकार, जयपुर ने अपने उद्बोधन में सभागार में उपस्थित विद्यार्थियों को तीन मुख्य प्रकार की शक्तियों यथा संवाद में शब्दों का चुनाव, संगठन की शक्ति एवं विनम्रता की उपयोगिता के बारे में बताया। कार्यक्रम के अति विशिष्ट अतिथि प्रो. (डॉ.) ए.के. गहलोत, पूर्व व संस्थापक कुलपति, राजुवास, बीकानेर ने पी.जी.आई.वी.ई.आर. परिवार को सफलतापूर्वक 12 वर्ष पूर्ण करने की बधाई दी। माननीय संस्थापक कुलपति ने कहा कि पी.जी.आई.वी.ई.आर. अब अपने बाल्यवस्था से किशोरवस्था में आ चुका है। अतः संस्थान की जिम्मेदारियां और बढ़ गई है। अपने उद्बोधन में माननीय संस्थापक कुलपति ने माननीय डॉ. राजेश मान, पूर्व निदेशक, पशुपालन विभाग, राजस्थान सरकार, जयपुर को संस्थान की स्थापना हेतु पूर्व में उपयुक्त स्थान एवं उपयुक्त समय पर भूमि उपलब्ध करवाने हेतु आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अति विशिष्ट अतिथि प्रो. (डॉ.) विष्णु शर्मा, पूर्व कुलपति, राजुवास, बीकानेर ने अधिष्ठाता पी.जी.आई.वी.ई.आर., जयपुर को संस्थान के 13वें स्थापना दिवस के सफलतापूर्वक आयोजन तथा आयोजन के अतिथियों के चुनाव की सराहना की। माननीय पूर्व कुलपति ने बताया कि संस्थान के पास तीन नवाचार केन्द्र है जिसमें दुग्ध परीक्षण हेतु प्रयोगशाला, जूनोटिक बीमारियों की निगरानी एवं निदान हेतु प्रयोगशाला तथा पशुधन नवाचार ज्ञान और उद्यमिता कौशल केन्द्र मुख्य है। पूर्व कुलपति ने कहा कि पशुचिकित्सा पेशा सम्पूर्ण विश्व में सबसे महान पेशा है। संस्थान के विद्यार्थियों को संस्थान से शारीरिक एवं भावनात्मक रूप से जुड़े रहने की कोशिश करनी चाहिये। कार्यक्रम के अध्यक्ष माननीय कुलपति महोदय आचार्य मनोज दीक्षित, राजुवास, बीकानेर ने अपने उद्बोधन में बताया कि भारतीय संस्कृति में 12 का अंक अत्यन्त ही शुभ अंक माना गया है और आज पी.जी.आई.वी.ई.आर., ने अपने स्थापना के 12 वर्ष पूर्ण किये है इस हेतु संस्थान के सम्पूर्ण परिवार को बधाई एवं शुभकामनाएं। माननीय कुलपति ने विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि इस संस्थान से सीख कर आप जो अर्जित करते है उसे समाज तथा संस्थान को लौटाने की हमारा नैतिक जिम्मेदारी एवं कर्त्तव्य है। माननीय कुलपति ने विद्यार्थियों को नवाचार की गतिविधियों में अधिकाधिक संख्या में भाग लेने हेतु तथा उद्यमिता को अपना व्यवसाय बनाने हेतु प्रेरित किया। छात्रवृत्ति के सन्दर्भ में माननीय कुलपति ने माना कि पशुचिकित्सा से जुड़े विद्यार्थियों को अन्य विभिन्न प्रकार की चिकित्सा से जुड़े विद्यार्थियों से ज्यादा छात्रवृत्ति मिलनी चाहिये। कार्यक्रम के स्वागत भाषण में संस्थान के अधिष्ठाता महोदया प्रो. (डॉ.) धर्म सिंह मीना ने अतिथियों का स्वागत करते हुए सभी को संस्थान के 13वें स्थापना दिवस की शुभकामनाएं प्रेषित की। उन्होंने संस्थान के ऐतिहासिक सफर का डिजिटल प्रस्तुति के माध्यम से संक्षिप्त वर्णन किया तथा विगत 12 वर्षो में संस्थान द्वारा की गई प्रगति एवं विद्यार्थियों द्वारा अर्जित शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक उपलब्धियों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। उन्होंने बताया कि यह संस्थान भारत के पशुचिकित्सा के संस्थानों में अपनी अनूठी छाप रखता है। संस्थान का भवन अपने आप में अनूठा है तथा भारत के विभिन्न विश्वविद्यालय इस भवन की नक्शें की मांग करते रहते है। अधिष्ठाता महोदय ने विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति तथा पूर्व कुलपति को विश्वास दिलाया कि भविष्य में यह संस्थान पशुचिकित्सा के क्षेत्र में नये कीर्तिमान स्थापित करेगा। कार्यक्रम के अन्त में कार्यक्रम के मुख्य एवं विशिष्ट अतिथियों को स्मृति चिन्ह् भेट किया। कार्यक्रम में संस्थान की विभिन्न शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक गतिविधियों में स्थान पाने वाले विद्यार्थियों को कार्यक्रम के अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया। अतिथियों के उद्बोधन के उपरान्त संस्थान के छात्र एवं छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई। कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. बरखा गुप्ता ने किया तथा सहायक अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने सभी आगन्तुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
अधिष्ठाता
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