बीकानेर, 21 दिसम्बर। पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट निस्तारण तकनीकी केंद्र, राजुवास, बीकानेर द्वारा पशुपालन विभाग के बीकानेर एवं चूरू जिले के विभिन्न पशु चिकित्सालयों व पशु उपकेन्द्रों पर कार्यरत 30 पशुधन सहायकों का पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट के उचित प्रबंधन और निस्तारण विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर बुधवार को आयोजित किया गया। प्रशिक्षण उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए डॉ. ए.पी. सिंह, अधिष्ठाता एवं संकाय अध्यक्ष वेटरनरी कॉलेज, बीकानेर ने कहा कि रोग निदान और उपचार कार्यों में चिकित्सकीय अपशिष्ट का सही निस्तारण मानव और पशु जगत के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। निदेशक अनुसंधान प्रो. हेमन्त दाधीच ने बताया कि पशुजन्य रोगों की संक्रामकता को रोकने हेतु इस तरह के प्रशिक्षण बहुत उपयोगी है। बॉयोमेडिकल वेस्ट के उचित निस्तारण से पशुपालकों एवं आमजन को संक्रामक रोगों के प्रभाव से बचाया जा सकता है। प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. राजेश कुमार धूड़िया ने प्रशिक्षणार्थियों को पशुपालक हितार्थ विश्वविद्यालय द्वारा संचालित प्रसार गतिविधियों की जानकारी प्रदान की साथ ही उन्होने सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण के दौरान सीखे गए कार्याे को अन्य पशुधन सहायकों, संबन्धित स्टाफ एवं प्रयोगशाला सहायक तक जन जागरूकता के रूप में पहुचाने हेतु प्रेरित किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में कार्यालय अतिरिक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, बीकानेर की उपनिदेशक डॉ. गीता बेनीवाल ने कहा कि पशुओं के रोग निदान और उपचार कार्यों में चिकित्सकीय अपशिष्ट का सही निस्तारण से बहुत सी संक्रामक बीमारियों पर काबू पा सकते है, एवं पशुपालकों को आर्थिक नुकसान से बचा सकते है। केन्द्र की प्रमुख अन्वेषक डॉ. दीपिका धुडिया ने बताया कि पशुधन सहायकों को जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट का निस्तारण पूरी जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए। प्रो. प्रवीण बिश्नोई, विभागाध्यक्ष, सर्जरी एवं रेडियोलॉजी विभाग एवं केन्द्र के सह-अन्वेषक डॉ. मनोहर सैन ने पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट के उचित प्रबंधन एवं निस्तारण विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किए। प्रशिक्षण मे डॉ. रेखा लोहिया व डॉ. चाँदनी जावा ने पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट के पृथक्करण व निस्तारण का प्रायोगिक विवरण दिया। कार्यक्रम के दौरान डॉ. निशा चौपड़ा एवं अन्य फैकल्टी सदस्य मौजूद रहे। प्रशिक्षण के समापन पर प्रो. उर्मिला पानू परीक्षा नियंत्रक, राजुवास एवं प्रशिक्षण आयोजन सचिव डॉ. दीपिका धूड़िया ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए।
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