जयपुर, 06 अक्टूबर। राजस्थान पशु चिकिसा एवम पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत भारत सरकार के पशुपालन एवम डेयरी विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन एवम् डेयरी मंत्रालय द्वारा प्रायोजित पशुधन जागृति अभियान के अंतर्गत आकांक्षी जिला करौली की तहसील करौली के गांव परीता में जागरूकता एवम प्रजन्न शिविर का आयोजन किया गया।
शिविर के शुरुआत में अधिष्ठाता, स्नातकोत्तर पशु चिकित्सा शिक्षा एवम अनुसंधान संस्थान, जयपुर की प्रो. (डॉ.) शीला चौधरी द्वारा कार्यक्रम के मुख्य अथिति संयुक्त निदेशक, पशु पालन विभाग, करौली डॉ. गंगा सहाय मीणा को पुष्पगुच्छ दे कर स्वागत किया।
सर्वप्रथम राजूवास के वंदन गान के द्वारा कार्यक्रम को प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में अधिष्ठाता, पी.जी.आई.वी.ई.आर., जयपुर प्रो. (डॉ.) शीला चौधरी द्वारा उन्नत पशुपालन के विभिन्न तरीकों पर बारीकियों से शिविर में आए पशुपालकों को अवगत किया तथा कृषि में मौसम के बदलाव से होने वाले नुकसान से बचने के लिए पशुपालन को अपनाने का आव्हान किया। अधिष्ठाता महोदया ने पशुपालकों को बताया की खेती और पशुपालन एक दूसरे के पूरक है, खेती के लिए जमीन सीमित है और इसको बढ़ाया नही जा सकता परंतु हम अपने पशु बाड़े में ज्यादा से ज्यादा पशु पाल कर तथा उन्नत पशुपालन कर आमदनी में इजाफा कर सकते है। प्रो. शीला चौधरी द्वारा पशुपालन के विभिन्न पायदानों के बारे में बताया, जिसमे उन्नत पशु स्वास्थ्य के लिए पशुपालक अपने पशु को समय समय पर अपने स्वस्थ पशु को क्रमीनाश दवा पिला कर पेट के कीड़ों की रोकथाम करे तथा विभिन्न संक्रामक बीमारियों जैसे खुर पका मुंह पका, गलघोटु, लंगड़ा बुखार, फड़किया जैसी बीमारियों से उपयुक्त समय पर टीकाकरण कर अपने पशु को बचाए।
पशु की नस्ल सुधार के लिए पशु पालक अपने पशु को अच्छे नस्ल के सांड/पाड़े से ग्राभित करवाए ताकि पशु की अगली आने वाली पीढ़ी अच्छी नस्ल की हो तथा उनका पशु अच्छा दुग्ध उत्पादन करता रहे साथ ही अपने पशु बाड़े से कम और ना दूध देने वाले पशु को बेच दे ताकि उन पशुओं पर होने वाले खर्चे से बचा जा सके । पशु पोषण के अंतर्गत अधिष्ठाता ने बताया की पशु को अच्छा पोषण शारीरिक विकास के लिए अति आवश्यक है, इसके लिए जरूरी है की पशुपालक अपने पशु को संतुलित, सुपाच्ये, पशु आहार से पोषण प्रदान करे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, सयुक्त निदेशक, पशु पालन विभाग, करौली डॉ. गंगा सहाय मीणा द्वारा पशुपालन विभाग द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न योजनाओं के बारे में शिविर में आए पशुपालकों को बताया जिसमे पशु बीमा योजना (कामधेनु पशु बीमा योजना) से पशु पालकों को विस्तार से अवगत करवाया और पशुपालकों को इन योजनाओं का फायदा उठाने का आव्हान किया।
कार्यक्रम के विषय विशेषज्ञ डॉ. ब्रह्म कुमार पांडे, वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी, पशु पालन विभाग, करौली द्वारा पशुओं में बांझपन के विभिन्न कारण इनके निराकरण, बचाव एवम उपचार के बारे में पशु पालकों को बताए।
शिविर के अन्य विषय विशेषज्ञ डॉ. निर्मल कुमार जैफ, सहायक आचार्य, स्नातकोत्तर पशुचिकित्शा शिक्षा एवम अनुसंधान संस्थान, जयपुर ने पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए स्वच्छ चारा, स्वच्छ पानी एवम स्वच्छ हवा प्रदान करने की सलाह दी तथा पशुओं में होने वाली विभिन्न संक्रामक बीमारियों के बारे में भी पशुपालकों को बताया तथा उन बीमारियों की रोकथाम और उपचार के तरीके बताए एवम प्रजन्न से संबंधित होने वाली विभिन्न बीमारियों से अवगत किया।
शिविर में आए पशुओं का उपचार स्नातकोत्तर पशु चिकित्सा शिक्षा एवम अनुसंधान संस्थान, जयपुर के सहायक आचार्य डॉ. चंद्रशेखर सारस्वत तथा सहायक आचार्य डॉ. निर्मल कुमार जैफ द्वारा किया गया तथा पशुपालकों को उनके पशुओं के संवर्धन के तरीके सिखाए।
शिविर के सफल आयोजन में सहायक आचार्य डॉ. अशोक बैन्धा, वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. अनुराग कटियार, डॉ. पियूष गोयल, वरिष्ठ पशुधन सहायक श्री प्रकाश मीणा, श्री मदन मोहन गुप्ता, श्री ललित कुमार शर्मा, पशुधन सहायक श्री हरिओम मीणा, श्री प्रवीण शर्मा, श्री नरेद्र शुक्ला, पशुधन परिचर श्री मोहन मीणा, श्री सीता राम योगी, श्री शिव लाल बैरवा तथा श्री रामदयाल ने अहम किरदार निभाया।
शिविर में पशुपालकों ने अपना पंजीकरण करवाया तथा पशुओं का उपचार किया गया एवम इंडियन इम्युनोलॉजिक द्वारा प्रदान की गई दवा का निशुल्क वितरण किया गया।
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