“पशुपालन डिप्लोमा कार्यक्रमः सुधार और उपलब्धियां“ विषय पर पी.जी.आई.वी.ई.आर., जयपुर में कार्यशाला का आयोजन

जयपुर, 29 जनवरी। स्नातकोत्तर पशुचिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पी.जी.आई.वी.ई.आर.), जयपुर में बुधवार को राजस्थान राज्य में संचालित विभिन्न पशुपालन डिप्लोमा संस्थानों के प्रधानाचार्यों, राजुवास बीकानेर, पशुपालन विभाग एवं सचिवालय के अधिकारियों के मध्य “पशुपालन डिप्लोमा कार्यक्रमः सुधार और उपलब्धियां“ विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि श्री जोराराम कुमावत, माननीय केबिनेट मंत्री, पशुपालन, डेयरी, गोपालन एवं देवस्थान विभाग, राजस्थान सरकार, डॉ. समित शर्मा, प्रमुख शासन सचिव तथा श्रीमती संतोष करोल, उपशासन सचिव, पशुपालन विभाग, प्रो.(डॉ.) हेमन्त दाधीच, प्रतिकुलपति, राजुवास, डॉ. आनन्द सेजरा, निदेशक पशुपालन विभाग एवं अधिष्ठाता पी.जी.आई.वी.ई.आर., जयपुर ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की विधिवत् शुरूआत की। सभी आगन्तुकों का स्वागत करते हुऐ संस्थान के अधिष्ठाता प्रो. (डॉ.) धर्म सिंह मीना ने इस कार्यशाला के विषय और प्रयोजन के बारे में उनको अवगत कराया। उन्होनें बताया की राज्य में पशुचिकित्सा शिक्षा को बेहतर बनाने के आयामों पर चर्चा करने के उद्वेश्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। माननीय मंत्री महोदय ने अपने उद्बोधन में कहा की पशुओं को बेहतर चिकित्सा सेवाऐं प्रदान करना हमारा लक्ष्य है। अगर किसान और पशुपालक मजबुत होंगें तो राज्य मजबूत होगा और आगे बढ़ेगा। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा पशुपालन के क्षेत्र में उठाये जा रहें कदमों के बारे में ज्रिक करतें हुऐं मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा, मंगला पशु बीमा योजना, निःशुल्क दवा योजना आदि के बारे में विस्तृरित चर्चा की। उन्होंने बताया की राज्य के दुर्गम तथा सुदुर क्षेत्रों तक पशुपालन की बेहतर सेवाऐं प्रदान करना हमारा लक्ष्य हैं, इसके लिये जरूरी है कि पशुचिकित्सा शिक्षा से जुडे़ संस्थान मापंदड़ों के अनुसार गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान कर कुशल एवं सक्षम मानव संसाधन उपलब्ध करावें। आज की कार्यशाला से हम यह तय करेंगें की राज्य की पशुचिकित्सा शिक्षा को और अधिक बेहतर केसे बनायें। प्रमुख शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने कार्यशाला को संबोधित करते हुऐ इसे एक अभुतपुर्व संगम बताया जिसमें सेवानिवृत पशुचिकित्सक, वर्तमान पशुचिकित्सक तथा भविष्य के पशु चिकित्सा से जुड़े लोग उपस्थित हुये हैं। उन्होंने बताया की देश के निर्माण में, देशवासियों को रोजगार देने में, देश की अर्थव्यवस्था में, बच्चों को कुपोषण से बचाने में पशुपालन का बहुत महत्वपुर्ण योगदान है। पशुपालन डिप्लोमा कार्यक्रम शिक्षा के मापदंडों के अनुसार एवं समस्त व्यवस्थाओं के अनुरूप होनी चाहिए। गुणवत्तापुर्ण शिक्षा तथा व्यवस्थाऐं प्रदान करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी हैं, इसके माध्यम से ही हम राज्य का नाम रोशन कर सकते हैं। अगर 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में लाना है तो अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ पशुपालन के क्षेत्र को भी हमें विकसित करना होगा। पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. आनन्द सेजरा, ने अपने उद्बोधन में कहा की इस कार्यशाला के आयोजन का उद्वेश्य पशुचिकित्सा शिक्षा ने सुधार लाना है, जिससे पशुपालकों को बेहतर स्वास्थय सेवाऐं प्रदान करने में मदद मिलेगी, आपसे अपेक्षा है कि आज जो सुधार सुझाऐं जाऐ उन सुझावों पर अमल कर शिक्षा में सुधार करेगें। राजुवास के प्रतिकुलपति प्रो. (डॉ.) हेमन्त दाधीच, ने बताया की पशुपालन डिप्लोमा कार्यक्रम मे बेहतर शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से इस बैठक का आयोजन किया जा रहा है। राजुवास सदैव अच्छी शिक्षा प्रदान करने तथा इसे पशुपालकों तक पहुचाने हेतु कटीबंद्ध है। पशुपालन का परिदृश्य बदल रहा है तथा इस बदलते परिदृश्य में पशुपालन को बेहतर कैसे बनाया जा सकता है इस पर हमें चर्चा करनी है। आज हम दुग्ध का सर्वाधिक उत्पादन करने में सक्षम हुऐ हैं जिसके लिये हम सभी का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से योगदान रहा है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट जनों के उद्बोधन के उपंरात समस्त पशुपालन डिप्लोमा संस्थान के प्राचार्यों द्वारा प्रेजेंनटेशन के माध्यम से संस्थान के स्थिति एवं उपलब्धियों का प्रदर्शन किया गया। प्रेजेंनटेशन के दौरान एवं उपरांत डिप्लोमा संस्थानों के प्रशासन को सुधार हेतु सुझाव दिये गये। कार्यक्रम का संचालन डॉ. बरखा गुप्ता ने किया तथा सभी आगन्तुकों का धन्यवाद सहायक अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. वाई. पी. सिंह ने किया।