राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर की संघटक संस्था स्नातकोत्तर पशु चिकित्सा शिक्षा एवम अनुसंधान संस्थान, जयपुर के द्वारा संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, बारां, इंडियन इम्युनोलॉजिकल लिमिटेड तथा पशुपालन एवम डेयरी विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन एवम डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त तद्वधान में किया गया।
जागरूकता शिविर कार्यक्रम की शुरुआत कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. लाल सिंह, अतिरिक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, राजस्थान, कार्यक्रम के अतिविशिष्ट अतिथि डॉ. हरिवल्लभ मीना, सयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, बारां, विशिष्ट अतिथि श्री हेमन्त कुमार बैरवा, सरपंच, ग्राम पंचायत, पचेलकल्ला एवम श्री मनोज नंदवाना, पूर्व सरपंच, ग्राम पंचायत: पचेलकलां के स्वागत के साथ शुरू हुआ। सभी अतिथियों का स्वागत प्रो. शीला चौधरी, अधिस्थता, स्नातकोत्तर पशु चिकित्सा शिक्षा एवम अनुसंधान संस्थान के द्वारा किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अथिति डॉ. लाल सिंह द्वारा अपने उद्बोधन में उन्नत पशुपालन के तरीकों को अपनाने के लिए सभी पशुपालकों को प्रेरित किया।
कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवम स्नातकोत्तर पशु चिकित्सा शिक्षा एवम अनुसंधान संस्थान की अधिष्ठाता प्रो शीला चौधरी द्वारा पशुपालन के चार पायदान पशु पोषण, पशु स्वास्थ्य, पशु प्रजनन एवम पशु प्रबंधन के बारे में पशुपालकों को साझा किए। अधिष्ठाता द्वारा पशु पोषण का पशु उत्पादन में उपयोगिता एवम पशु पोषण के तरीके बताए। अधिष्ठाता ने जोर देकर कहा की पर्यावरण में होने वाले बदलाव के कारण कृषि में होने वाले आर्थिक नुकसान से बचने के लिए किसान कृषि के साथ साथ पशुपालन की नवीन तकनीकों को अपनाए। पशुपालक पशु प्रजनन की जागरूकता के द्वारा अपनी आय को बढ़ा सकता है, अधिष्ठाता द्वारा पशुपालन में होने वाली विभिन्न परेशानियों से निजात दिलाने के सुझाव दिए।
शिविर के अति विशिष्ट अतिथि डॉ. हरिवल्लभ मीना ने पशुपालकों को पशुपालन विभाग द्वारा चलाई गई विभिन्न योजनाओं के बारे में बताया तथा पशु बीमा के बारे में भी पशुपालकों को अवगत किया।
शिविर के जागरूकता अभियान के अंतर्गत डॉ. अमर लाल नागर ने पशुपालकों को पशुओं में होने वाली विभिन्न बीमारियों के बारे में पशुपालकों को जागरूक किया तथा इनके बचाव के विभिन्न तरीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
जागरूकता अभियान के अगले विषय विशेषज्ञ डॉ सतीश लहरी द्वारा आजीविका के साधन, नस्ल सुधार के विभिन्न पायदानों के बारे में बताया जैसे अच्छे नस्ल के नर पशुओं द्वारा प्राकृतिक गर्भाधान तथा उन्नत नस्ल के नर पशु के वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान करवाने के लिए प्रोत्साहित किया।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में स्नातकोत्तर पशु चिकित्सा शिक्षा एवम अनुसंधान संस्थान जयपुर के डॉ. मदन मोहन माली, डॉ. चंद्र शेखर सारस्वत, डॉ. अशोक बैन्धा एवम श्री चौथमल द्वारा अहम योगदान दिया। इस जागरूकता एवम प्रजनन शिविर में 251 पशुपालकों ने भाग लिया तथा विभिन्न प्रजाति के 100 से ज्यादा पशुओं का उपचार किया गया। पशुओं के उपचार के लिए एंटीबायोटिक, खनिज लवण, क्रमीनाशी, पूरक आहार आदि दवाइयों की निशुल्क व्यवस्था इंडियन इम्युनोलॉजिकल लिमिटेड द्वारा किया गया।
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