पशुओं एवं मुर्गियों में रोग निदान पर की नवीनतम तकनीकों पर पशुचिकित्सकों का प्रशिक्षण शुरू

बीकानेर, 03 मार्च। वेटरनरी कॉलेज, बीकानेर के एपेक्स सेंटर द्वारा “पशुओं व मुर्गियों में रोग निदान की नवीनतम तकनीकों” विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम सोमवार को शुरू हुआ। उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने कहा कि पशुचिकित्सकों को विभिन्न संक्रामक बीमारियों के रोग निदान का पूर्ण ज्ञान होना बहुत आवश्यक है। पशुओं में संक्रामक रोग बहुत तेजी से फैलते है। समय पर रोग निदान या डायग्नोसिस हो जाये तो उपयुक्त ईलाज द्वारा संक्रमण को नियंत्रण कर सकते है। उद्घाटन सत्र में कुलपति ने क्षेत्रीय निदान विधियों के महत्व और पशुचिकित्सा में फीडबैक सिस्टम के उपयोगिता पर भी विचार रखे। उन्होंने प्राचीन पशुचिकित्सा साहित्य जैसे “शालिहोत्र संहिता” और स्थानीय ज्ञान की उपयोगिता पर भी चर्चा की। प्रशिक्षण कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. हेमन्त दाधीच ने कहा कि इस प्रशिक्षण के माध्यम से पशुचिकित्सकों को पोस्टमार्टम के आधार पर पशुओं में रोग-निदान के विभिन्न तरीकों को समझने का मौका मिलेगा जो कि रोग नियंत्रण में सहायक सिद्ध होगा। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि अतिरिक्त निदेशक डॉ. गीता बेनीवाल ने कहा कि पशुचिकित्सकों को प्रशिक्षण के माध्यम से रोग ग्रस्त पशुुओं के रक्त, पेशाब, गोबर आदि नमूने प्रयोगशालाओं में परीक्षण हेतु भेजने के तरीकों को समझने का मौका मिलेगा, ताकि रोगग्रस्त पशुओं को उचित ईलाज मिल सके। प्रशिक्षण समन्वयक एवं प्रभारी अधिकारी एपेक्स सेन्टर डॉ. राजेश सिंगाठिया ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि इस तीन दिवसिय प्रशिक्षण में बीकानेर, चूरू, श्रीगगांनगर एवं हनुमानगढ़ जिले में कार्यरत 25 पशुचिकित्सक प्रशिक्षण ले रहे है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान निदेशक अनुसंधान प्रो. बी.एन. श्रृंगी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस कार्यक्रम में निदेशक क्लिनिक प्रो. प्रवीण बिश्नोई, अधिष्ठाता सी.डी.एस.टी. प्रो. राहुल सिंह पाल, डॉ. सीताराम, डॉ. रामकुमार एवं स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान मंच संचालन डॉ. बसन्त ने किया।

वेटरनरी विश्वविद्यालय
पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट के उचित प्रबन्धन एवं निस्तारण
विषय पर वेटरनरी विद्यार्थियों ने लिया प्रशिक्षण
बीकानेर, 03 मार्च। पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट निस्तारण तकनीकी केंद्र, राजुवास, बीकानेर द्वारा पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, बीकानेर के विभिन्न विभागों में अध्ययनरत स्नातकोत्तर एवं विद्या वाचस्पति छात्र-छात्राओं को पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट के उचित प्रबंधन और निस्तारण विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण सोमवार को प्रदान किया गया। प्रशिक्षणार्थियों को सम्बोधित करते हुए केन्द्र की प्रमुख अन्वेषण डॉ. दीपिका धूड़िया ने कहा कि जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट के उचित निस्तारण एवं प्रबंधन के प्रति जागरूगता वर्तमान परिपेक्ष्य में अति आवश्यक हो गई है। विश्वविद्यालय, चिकित्सालयों में कार्यरत कर्मचारियों को एवं पशु चिकित्सा स्नातकोत्तर एवं पशु चिकित्सा वाचस्पति विद्यार्थियों को इसका प्रायोगिक ज्ञान होना बहुत आवश्यक है ताकि वे स्वयं को एवं समाज को संक्रामक बीमारियों के प्रकोप से बचा सके तथा वातावरण को प्रदूषित होने से भी बचा सके। डॉ. वैशाली ने प्रशिक्षणार्थियों को बायोमेडिकल अवशेष के उचित निस्तारण का प्रायोगिक ज्ञान प्रदान किया। प्रशिक्षण समापन पर डॉ. बी.एन. श्रृंगी निदेशक अनुसंधान ने विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए।

डॉ. मंजु नेहरा को राष्ट्रीय सम्मेलन में उत्कृष्ट पत्र वाचन अवार्ड
बीकानेर, 03 मार्च। वेटरनरी महाविद्यालय, बीकानेर के पशु अनुवांशिकी एवं प्रजनन विभाग की सहायक आचार्य डॉ. मंजु नेहरा को महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर में “कृषि दक्षता और पशु कल्याण के सुद्दढीकरण हेतु स्टिक पशु प्रबन्धन तकनीके” विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में पत्र वाचन में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। इस सम्मेलन का आयोजन भारतीय पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन सोसायटी द्वारा किया गया। जिसमें देशभर से अनेक वैज्ञानिकों, शोधार्थियों और विशेषज्ञों ने भाग लिया।