बीकानेर, 31 मई। वेटरनरी विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी सोशल रिस्पांसिबिलिटी के अंतर्गत गोद लिए गए ग्राम गाढ़वाला में विश्वविद्यालय के जैविक पशुधन उत्पाद तकनीक केन्द्र द्वारा “जैविक पशुपालन का आर्थिक महत्व“ विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुक्रवार को आयोजित किया गया। केन्द्र के प्रमुख अन्वेषक डॉ. विजय कुमार बिश्नोई ने बताया कि जैविक पशुपालन आज के समय की महत्ती आवश्यकता है क्योंकि कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में रसायनों, उर्वरकों का अंधाधुंध उपयोग किया जा रहा है जिसके कारण मनुष्य और पशुओं में कई बीमारियां फैल रही हैं। पशुपालक भाई जैविक पशुपालन को अपनाकर मानव एवं पशु जीवन का स्वस्थ एवं निरोगी बना सकते है। इसके साथ ही डॉ. बिश्नोई ने तेज गर्मी को देखते हुए पशुओं को तापघात से बचने के उपायों के बारे में भी बताया। यूनिवर्सिटी सोशल रिस्पांसिबिलिटी के समन्वयक डॉ. नीरज कुमार शर्मा ने जैविक पशुपालन के आर्थिक महत्व के बारे में विस्तार से बातया। केन्द्र की डॉ. प्रियंका ने जैविक दुग्ध एवं मानव स्वास्थ्य पर व्याख्यान दिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में 45 पशुपालक शामिल हुए जिनको जैविक पशुपालन संबंधी फार्म लिटरेचर वितरित किये गये। प्रशिक्षण में प्रगतिशील पशुपालक भागीरथ गोदारा और बाबूलाल के साथ केन्द्र के भीख सिंह भी उपस्थित रहे।
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