बीकानेर, 26 जून। वेटरनरी विश्वविद्यालय के वल्लभनगर स्थित पशुधन अनुसंधन केन्द्र एवं चित्तौड़गढ़ जिले में भादसोड़ा कलस्टर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली एवं अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के विभिन्न आर्थिक सहयोग से संचालित सिरोही बकरी नस्ल सुधार परियोजना का केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम, के निदेशक डॉ. मनीष कुमार चेतली ने निरीक्षण किया। परियोजना के द्वारा पंजीकृत बकरी पालकों एवं पंजीकृत बकरियों की जानकारी ली। डॉ. मनीष कुमार चेतली ने अपने उद्बोधन में कहा कि बकरी पालक वैज्ञानिक विधियां अपनाकर बकरियों से उत्पादन एवं प्रजनन बढ़ाकर अधिक मुनाफा कमा सकते है। बकरियों के दूध से क्या-क्या उत्पाद बन सकते है और किस तरह उनकी मार्केटिंग की जा सके इस पर ध्यान देने की जरूरत है। परियोजना प्रभारी डॉ. आर.के. नागदा ने अवगत कराया कि इस परियोजना के माध्यम से उदयपुर, राजसमंद एवं चित्तौड़गढ़ जिले में पांच कलस्टर संचालित है तथा इन कलस्टरों में 99 बकरी पालकों की 2905 बकरियों पंजीकृत है। इन पंजीकृत बकरियों का परियोजना के तकनीकी कार्यक्रम के तहत समय-समय पर उत्पादन, प्रजनन सम्बंधी आंकड़े एकत्र किये जाते है तथा उनको कम्प्यूटरीकृत किया जाता है। परियोजना के माध्यम से बकरियों का टीकाकरण एवं डीवर्मिंग और बकरी स्वास्थ्य संबंधी औषधि एवं इलाज किया जाता है। निरीक्षण के दौरान पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, नवानियां के पशु शरीर रचना विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. बी.एन. मेश्राम तथा पशु उत्पादन विभाग के प्रभारी डॉ. अरुण सोनी डॉ. दिनेश चव्हान तथा दिवेर के पशुचिकित्सा अधिकारी डॉ. सतीश शर्मा भी उपस्थित रहे।
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