कृषि विज्ञान केन्द्र नोहर में हुआ जिलास्तरीय मिलेट्स कृषक संगोष्ठी का आयोजन नवनिर्मित किसान घर व कुक्कुट पालन इकाई का किया गया लोकार्पण भूमि के गिरते जैविक कार्बन के स्तर पर ध्यान देने की जरूरत: माननीय सांसद राहुल कस्वां

बीकानेर, 26 अप्रेल। वेटरनरी विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र, नोहर में बुधवार को जिलास्तरीय मिलेट्स संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर नवनिर्मित किसान घर व कुक्कुट पालन इकाई का लोकार्पण माननीय सांसद श्री राहुल कस्वां, लोकसभा क्षेत्र, चूरू, डॉ. जे.पी. मिश्रा, निदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-अटारी जोधपुर, वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग द्वारा किया गया। इस अवसर पर श्री अभिषेक मटोरिया, पूर्व विधायक (नोहर), प्रो. राजेश कुमार धूडिया, निदेशक प्रसार शिक्षा, राजुवास उपस्थित रहे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री राहुल कस्वां ने अपने उदबोधन में बताया कि वर्ष-2023 को विश्व स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इसका प्रस्ताव भारत ने दिया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसका अनुमोदन किया था। इसलिए भारत सरकार मोटे अनाजों के उत्पादन और उपभोग को प्रोत्साहन देने के लिए सतत प्रयास कर रही हैं। जलवायु परिवर्तन से प्रभावित गेहूँ और धान की खेती ने भी मोटे अनाजों के उत्पादन और उपभोग को एक बेहतर विकल्प बनाया है। उन्होंने प्राकृतिक खेती की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए लोगों से आग्रह किया कि वह अधिक से अधिक प्राकृतिक खेती को अपनाकर खेती में रसायनों के प्रयोग को कम करें ताकि जीरो बजट प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने भूमि के गिरते जैविक कार्बन के स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया करते हुए किसानों से आग्रह किया कि भूमि के स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए जैविक कार्बन बहुत जरूरी है इसलिए भूमि में अधिक से अधिक जैविक खादों के उपयोग की ओर ध्यान देने की जरुरत हैं। कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि राजस्थान में बड़ी संख्या में किसान पशुपालन व्यवसाय से जुड़े हुए हैं इसलिए आय के लिए वे दुग्ध उत्पादन पर काफी ज्यादा निर्भर हैं। हालांकि, इस साल लंपी वायरस जैसी बीमारियों के चलते पशुपालकों को भारी नुकसान भी हुआ। इन विपरीत परिस्थितियों होने के बावजूद भी प्रदेश ने दुग्ध उत्पादन में अग्रणी स्थान प्राप्त किया है। उन्होंने किसानो को कृषि के साथ-साथ पशुपालन को व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. जे.पी. मिश्रा ने अपने उदबोधन में कहा कि प्राकृतिक कृषि को आधुनिक तकनीक से जोड़कर वैज्ञानिक तरीको की मदद से उन्नत खेती व उन्नत पशुपालन के जरिये ही खुशहाल किसान, खुशहाल देश के सपने को साकार किया जा सकता हैं। किसानों को नवाचार अपनाते हुए एकीकृत कृषि प्रणाली जिसमें कृषि के साथ-साथ अन्य उद्यम जैसे मशरूम, मधुमक्खी, मशरूम, बागवानी, सब्जी उत्पादन, नकदी फसल, चारा फसल, पशुपालन, मुर्गी-पालन व मत्सय पालन को शामिल करके कृषि में जोखिम को कम करने व लाभदायक व्यवसाय बनाने की सलाह दी। अभिषेक मटोरिया, पूर्व विधायक (नोहर) ने भी किसानों को सम्बोधित किया। निदेशक प्रसार शिक्षा प्रो. राजेश कुमार धूड़िया ने अतिथियों का स्वागत कर पशुपालकों व किसानों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने केन्द्र, विश्वविद्यालय की गतिविधियों, वर्तमान परिवेश में जैविक कृषि व पशुपालन के महत्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र, नोहर के द्वारा तैयार बैकयार्ड मुर्गी पालन, जीरो बजट प्राकृतिक खेती एवं काचरी की उन्नत खेती फोल्डर का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों के द्वारा प्रदर्शनी भी लगाई गई तथा पशुपालकों को चारा उत्पादन हेतु बीज वितरण किया गया। कार्यक्रम के दौरान श्री अमर सिंह पूनिया, पूर्व प्रधान (नोहर), श्री दीपचंद बेनीवाल, जिला परिषद सदस्य, प्रो. कुलदीप नेहरा, प्रभारी अधिकारी, पशुधन अनुसंधान केंद्र, नोहर डॉ. सुरेश चंद कांटवा, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, नोहर, डॉ. आर.के. शिवरान, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र, चांदगोठी, चूरू, डॉ. अनूप कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, संगरिया, श्री बलवीर खाती, भूतपूर्व उपनिदेशक आत्मा, हनुमानगढ़ इत्यादि उपस्थित रहे।