राजुवास ई-पशुपालक चौपाल का आयोजन देशी गायों से अधिक उत्पादन हेतु महत्वपूर्ण बातें

बीकानेर, 08 जून। वेटरनरी विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा राज्य स्तरीय ई-पशुपालक चौपाल बुधवार को आयोजित की गई। देशी गायों से अधिक उत्पादन कैसे प्राप्त करें विषय पर प्रगतिशील किसान एवं पशुपालक श्री सुरेन्द्र जी अवाना ने पशुपालकों से वार्ता की। निदेशक प्रसार शिक्षा प्रो. राजेश कुमार धूड़िया ने विषय प्रवर्तन करते हुए बताया कि देश में 193 मिलियन गौवंश है जिसमें से 13.9 मिलियन गौवंश के साथ राजस्थान छठे स्थान पर है। भारत में कुल 37 प्रकार की गायो की नस्ले है जिसमें से 6 प्रकार की देशी गौवंश गिर, साहीवाल, थारपारकर, राठी, मालवी एवं कांकरेज राजस्थान के अलग-अलग जिलों में पाई एवं पाली जाती है। विश्वविद्यालय द्वारा नवीन तकनीकों को अलग-अलग माध्यमों से पशुपालकों तक पहुंचाया जाता है। जब तक पशुपालक भाई इन उन्नत पशुपालन तकनीकों को समझकर उपयोग नहीं करेंगे तब तक पशुपालन के क्षेत्र से पूर्ण आर्थिक लाभ नहीं उठा पाएंगे। एकीकृत खेती करके पशुपालक भाई खेती एवं पशुपालन का समुचित फायदा उठा सकते है। आमंत्रित विशेषज्ञ श्री सुरेन्द्र अवाना, प्रगतिशील किसान एवं पशुपालक, भैराना, जयपुर ने चौपाल के माध्यम से खेती एवं पशुपालन क्षेत्र में अपने अनुभव साझा करते हुए पशुपालकों को देशी गायो से अधिक उत्पादन लेने हेतु महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि पशुपालन एवं खेती से पूर्ण लाभ लेना है तो हमें एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाना होगा। जिसमें कृषि उत्पाद को पशुओं के खाद्य के रूप में उपयोग किया जाता है एवं पशु उत्पादों को खेती में काम ले सकते है। इससे पशु चारे एवं खेती में खाद्य की समस्या का समाधान हो जाता है देशी गायों के मूत्र एवं गोबर को जैविक खाद के रूप में उपयोग करने से भूमि की उर्वरता बढ़ती है, उत्पादन बढ़ता है एवं हानिकारक रसायनों के प्रभाव से भी मनुष्य बच सकता है। अलग-अलग जिलों में उपलब्धता के आधार पर देशी गायों को चयन कर सकते है। जहां तक संभव हो पशुचारे को अपने खेत में ही उगाये एवं बहुगर्षीय चारा फसलो को पशुचारे में उपयोग कर सकते है। पशुओं को अलग-अलग अवस्थाओं में चारे एवं बांटे को संतुलित रूप से प्रदान करना चाहिए। देशी गायों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है तथा राजस्थान की गर्म जलवायु में भी कम प्रबन्धन लागत में इनकों पाला जा सकता है। गायों में उचित नस्ल चुनाव, समय पर प्रजनन, संतुलित खाद्य प्रबन्ध को अपनाकर पशुपालक भाई पशुपालन से अधिक आर्थिक लाभ पा सकते है।